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Harsh Mathur

Others Romance

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Harsh Mathur

Others Romance

वो बातें

वो बातें

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वो शब्द जो,

लबों पे ना आ सके।

वो बातें जो,

आँखों में ही रह गई।


वो किस्से जो,

स्कूल के बरामदे तक

ही रह गए।

शरारतें जो,

यादें बन कर रह गई।


देखा करता था,

तुम्हारी आँखों में ,

महसूस करता था,

तुम्हारी साँसों को,

जैसे हो मेरी साँसे।


दिल की बात दिल से,

मन का भाव मन से,

बात जो अंदर की थी,

शब्दों में जिसकी जगह

न थी।


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