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Harsh Mathur

Romance

3  

Harsh Mathur

Romance

तेरी याद

तेरी याद

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तेरी याद मेरी ज़िंदगी में

एक नशा सा बन के रह गई है।

मेरे ज़िंदगी की किताब में

रंगीन चित्र बन के रह गई है।


तेरे सा संगीत

बस सुना नहीं जाता।

शरीर के कण कण में

महसूस किया जाता है।


ख्वाब, सोते जागते

बस तेरी ही तस्वीर देखना।

तुम्हारी मासूम नजरें से

मुझे देखना और कहना।


अज इतना देर क्यूँ लगा दी

क्या कुछ काम था।

अज कल तुम देरी से आते हो

शयद मुझसे ऊब गए हो।


तुम्हारा ये कहना था

मेरा सपना टूटना था।

आस पास देखा तो तुम नहीं थी

हर तरफ खामोशी छायी थी।


पढ़ता हूँ तुम्हारे लिखे खत

जब तुम्हारी याद आती है।

महक लिया करता हूँ

मेरे उन कपड़ों में

जिनमें तुम्हारी कमी खलती है।


मेरी ख़ामोशी

मेरी असंवेदनशीलता नहीं,

ये कविता मेरी

अभिव्यक्ति है।


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