वो और उसके रूप
वो और उसके रूप
उसकी सब बात निराली है
वो फूलों से भरी एक डाली है
जग कहता जिसको घरवाली है
वो जीवन बगिया की माली है
वो रौद्र भी है और भोली भाली है
करती सबकी रखवाली है
वो शक्ति स्वरूपा मतवाली है
वो ही काली खप्परवाली है
उससे हर दिन होली दिवाली है
वो लक्ष्मी और सिंह सवारी वाली है
वो ही हर सुख की दायिनी
वो कुष्मांडा कात्यायिनी
वो अतुल्य प्रेमदात्री है
वो दुर्गा और कालरात्रि है
वो सृष्टि की जन्मदात्री है
वो शैलपुत्री और सिद्धिदात्री है
सब की वो संकटहारिणी
वो महागौरी और ब्रह्मचारिणी है
जिससे सबका अटूट नाता है
वो चंद्रघंटा और स्कंधमाता है
वो अपना हर रिश्ता निभा रही
सबको त्याग और समर्पण सिखा रही।