वो आखिर क्यों चली गई..!!
वो आखिर क्यों चली गई..!!
ख्वाब बेहिसाब
आंखों में दे कर
वो हमे मझधार में छोड़ गई
वो आखिर क्यों चली गई।
दर्द में सिसकते
आंखों में आसूं
अपनी यादों को हमें छोड़ गई
वो आखिर क्यों चली गई।।
कभी प्यार कभी तकरार
दिल में उम्मीदों की
एक नई बयार छोड़ गई
वो आखिर क्यों चली गई।
दर्द सहे हजारों उसने
मगर उफ्फ तक वो न कर गई
चुपचाप खामोश हो
वो आखिर क्यों चली गई।।
खुलकर जीवन जीने
संघर्षों में लड़ने की आदत हमें दे गई
आंखों में आसूं लिए
वो आखिर क्यों चली गई।
ना खुद से जीत पाई
किस्मत से भी हार गई
दर्द दिल में समेटे
वो आखिर क्यों चली गई।।
आंखें बोलती थी उसकी
खामोशी मगर हमें खामोश कर गई
दिल की हसरत दिल में लिए
वो आखिर क्यों चली गई।
घर सूना दीवारें मौन कर गई
अपने होने का अहसास छोड़ गई
जीवन भर के आंसू देकर
वो आखिर क्यों चली गई।।
