वंदनीय दुख
वंदनीय दुख
दिन और रात
चलते साथ साथ
एक के बाद
पुनरावृत्ति दूसरे की
दिन दिन लगता
रात दिखती जगत को
बिन रात क्या दिन
एक सा अनुभव
अंधेरा जरूरी उतना
प्रकाश है जितना
दुख तो मिले सबको
खुद कहानी भगवान की
कहानी दुखों से भरी
कठिनाई भरा जीवन
बोध पा सिद्धार्थ बनते बुद्ध
दुनिया को देते ज्ञान
संसार में दुख है
बताते दुख अपरिहार्य है
सुखों में हो मदहोश
नया कौन रचता
दुख तराशता हीरों को
कई जयशंकर, महादेवी
निराला, लिंकन
गांधी और मंडेला
को दुनिया को देता
दुख कोई शैतान नहीं
वंदनीय ईश सम।
