वक्त
वक्त
ना जाने कब रुख़ हवाँओं का,
सुहाने मौसमों को बदल जाए,
जिंदगी की मजबूत मुठ्ठी से,
वक्त की रेंत यूँ फिसल जाए ।
सुनो लो दस्तक दे दी वक्त ने,
थामलो हाथ उस लम्हें का,
बीत गए दिन बचपन के कही,
अब ये उम्र भी ना निकल जाए ।
जी लो ज़िंदगी के हर लम्हें को,
बेशकीमती उनसा कुछ भी नही,
किसी के लबो पे ख़ुशी लाओ की,
मायूसी भी गुलशन बन जाए ।
तस्वीर जिंदगी की सँवार लो,
प्यारभरे रिश्तों के खुशरंगों से,
मिटा दो दिलों के फ़ासलों को,
ये लम्हें भी कही खो ना जाए।