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Gajanan Pandey

Abstract

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Gajanan Pandey

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वक्त

वक्त

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वक्त की तराजू पर

हमारे कर्म तुलते हैं


अन्याय पर न्याय की

झूठ पर सत्य की

मुहर फिर लगती है।


जुर्म बेपर्दा होता है

बुराई को दंड मिलता है।


हर बात का

यही होता है हिसाब।


कविता के संबंध में 10 शब्द -

वक्त की तुला पर

न्याय- अन्याय

सच - झूठ का

रत्ती- रत्ती हिसाब होता है।


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