वक्त
वक्त
जाने क्यो वक्त थम सा गया है,
कुछ उलझनों में रुक सा गया है,
कुछ कही - अनकही बातों में
सिमट सा गया है,
पर ऐ वक्त तू फिर से चल,
उलझनों को समेटते हुए,
अपनी राहों में ख़ुशियाँ बिखेरते हुए,
तू उस सफर की ओर चल,
जहां प्यार इबादत का जहां
तेरे इंतजार में है!!!
