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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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वक्त

वक्त

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जब वक्त हर वक्त ,

अतीत ही प्रतीत होता है ।

जीवन का अंत,

निराशाओं का उदय होता है ।

जब काली रात भी,

चांदनी का एहसास कराती है।

तब आंखों का धुंधलापन हटता है।

और जीवनोदय के साथ ही,

आशाओं का सूरज उगता है।


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