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Sandeep Gupta

Inspirational

5.0  

Sandeep Gupta

Inspirational

वक्त वक्त की बात

वक्त वक्त की बात

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वक्त वक्त की बात होती है

तभी तो कभी-कभी,

नीम के रुई-से-हल्के पत्ते भी शोर लगते हैं,

जब दरख़्त का दामन छोड़,

उड़ते-उड़ते गिरते हैं मेरे आँगन में,

और कानफोड़ू आवाज़ करता हवाई जहाज़,

देता है सुकून मधुर संगीत सा।


फर्क इस बात से पड़ जाता है कि,

अपना कोई विदा ले, जा रहा है दूर, बैठ उस जहाज़ में,

या कोई प्रिय, आ रहा है मिलने, बैठ उसमें,

या कि सिर्फ वो एक मशीन है, आसमान में घरघराती,

जिसमें मेरा अपना कोई नहीं है सवार।

वक्त वक्त की बात होती है !


तभी तो कभी-कभी बारिश की बूँदें भी,

पत्थर सी चोट करती हैं,

और सर्द भरी सुबह में,

ओस की बूँदे भी तपा देती है तन-मन,

कभी रेत भी चुभ जाती है मुझे काँटों सी,

और कभी शूल भी सह जाता हूँ मैं हँसते-हँसते।

वक्त वक्त की बात होती है !


तभी तो कभी-कभी थक जाता हूँ मैं दुआ माँगते माँगते,

और कभी लग जाती है दुआ, बस माँगते ही।


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