वक्त कहता है

वक्त कहता है

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कल तक थे जो अपने साथ

आज वही अपने दूर हो गए

समय की तेज गति तो देखो

उसके आगे सब मजबूर हो गए।


क्षण क्षण सब यहाँ पर 

धूल की भाँति उड़ जाएगा

समय न रुका है न ही 

कोई उससे रोक पाएगा।


वक्त से आगे भागने की चाह में

कहीं किसी मोड़ पर फिसल जाएगा

समय से कदम मिलाकर न चला तो

तू जमाने से पिछड़ जाएगा।


समय को भला कौन है बांध पाया

समय को नहीं जिसने पहचाना

वह फिर मूर्ख ही कहलाया 

घड़ी के कांटे कब भला रुकते हैं।


रुक जाए अगर तो समझो अंत निकट है

जीवन की भागदौड़ मे समय निकल जाएगा

फिर कब तू परिवार संग दो पल खुशी के बिताएगा

बच्चे बड़े हो जाएंगे माँ बाप का साया हट जाएगा।


तू दो मीठे बोल न कह पाएगा न सुन पाएगा

कल कल करते तू हर चीज से भागा

टूटी जिंदगी की डोर बन गया अभागा

ऐसा करते करते पूरा जीवन निकल जाएगा।


जिस मिट्टी से बना था फिर एक दिन तू

उस मिट्टी मे मिल जाएगा।


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