Anju Singh

Abstract

4.6  

Anju Singh

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वक्त का पहिया

वक्त का पहिया

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वक्त का पहिया ऐसा घूमता

जीना सबकों सिखा देता

जो हरदम चहका करतें थें

उन्होंने खामोश रहना सीख लिया


छोटी उम्र में ही इसनें

लोगों को बड़ा बना दिया

जिद करने वालों को भी 

समझौंता करना सिखा दिया


जिसकों भी अपना समझा

लोगों ने परायापन जता दिया

अंधेरे से जों डरतें थें

उन्हें अंधेरें में रहना सीखा दिया


पहलें हर बात में खुश हो जातें 

अब चुप रहना सीख लिया

वक्त का पहिया ऐसा घुमा

नजारा सब कुछ बदल गया


सुख-दुख बदलतें रहते हैं

समस्याएं बदलती रहती हैं

वक्त किसी का रहता नहीं अपना 

सदैव अपनी ही धुन में 

चलता रहता है


कभी है सांझ ढलती

कभी नया सवेरा आता है

वक्त का पहिया निरंतर घूमता

आता है चला जाता है

 जो लम्हें बीत जाते हैं

वह इतिहास बन जाता है


जो समय को व्यर्थ गवांता 

जीवन के हर मोड़ पर

सदैव हार खाता है

वक्त के साथ चले तो

वक्त जीनें की राह दिखाता है

जीवन उसी का निखर जाता है

जो समय के मूल्यों को पहचानता है


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