वक्त और हम
वक्त और हम
वक्त भी किस तरह
आदमी को आजमाता है,
कठपुतली-सा हर शख़्स को
ताउम्र नचाता है।
बेबस और लाचार हो जाते हैं
सब वक्त के सामने,
कैसे-कैसे अजब-गज़ब
मोड़ पे सबको लाता है।
वक्त भी किस तरह
आदमी को आजमाता है,
कठपुतली-सा हर शख़्स को
ताउम्र नचाता है।
बेबस और लाचार हो जाते हैं
सब वक्त के सामने,
कैसे-कैसे अजब-गज़ब
मोड़ पे सबको लाता है।