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अनिल कुमार निश्छल

Drama

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अनिल कुमार निश्छल

Drama

वक्त और हम

वक्त और हम

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वक्त भी किस तरह

आदमी को आजमाता है,


कठपुतली-सा हर शख़्स को

ताउम्र नचाता है।


बेबस और लाचार हो जाते हैं

सब वक्त के सामने,


कैसे-कैसे अजब-गज़ब

मोड़ पे सबको लाता है।


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