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अनिल कुमार निश्छल

Abstract

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अनिल कुमार निश्छल

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रहने दो

रहने दो

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मुश्किलों को आग लगाओ, रहने दो

इक पल को ही जाग जाओ, रहने दो


ये दुनियां बढ़ने न  देगी एक कदम

बेफ़िक्री से हाथ बढ़ाओ, रहने दो


तूफ़ानी है जुनून  जानता हूँ यारों

हँसो ख़ूब और गाना गाओ, रहने दो


मन की हलचल से नतमस्तक न हो

दिल को आवाज लगाओ, रहने दो


माना कि हैं रास्ते  कटीले टेढ़े मेढे

चलो चैन से अब सो जाओ, रहने दो


खुद टूटे तो कई बार टूटोगे हर तरह से

अब तो खुद होश में आओ, रहने दो


समय निकला हाथ मलोगे "निश्छल"

दुगुनी ताकत से लग जाओ, रहने दो।


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