रब ने जब मां को बनाया होगा
रब ने जब मां को बनाया होगा
रब ने माँ को
जब बनाया होगा
खुद को कदमों पे
ही पाया होगा
रब ने मां___________
ममता का आँचल
जब थमाया होगा
बच्चा बन खुद ही
आजमाया होगा
रब ने मां______________
जन्नत को चरणों
पे बसाया होगा
सुकून सारे जहां
का पाया होगा
रब ने माँ________________
दिल जब माँ का
लगाया होगा
प्यार भी खुद माँ
का चुराया होगा
रब ने मां________________
अपनी कृति देख
कितना इतराया होगा
मन ही मन कितना रब मुस्काया होगा
रब ने माँ______________
मिट्टी सादगी की
फिर लाया होगा
रब की प्रतिमूर्ति
फिर बनाया होगा
रब ने माँ_______________
आँचल में माँ के
कितना इठलाया होगा
फरिश्तों से उसूल
मंगाया होगा
रब ने माँ___________
