चला तू चल
चला तू चल
मुश्किलों से हारकर
न बैठ मन को मारकर
बुज़दिली उतारकर
कदम-कदम संभालकर
न सोच तू करेगा कल
चला तू चल चला तू चल
आँधियों से तू न डर
बाज-सा तू हो निडर
मुट्ठियों को भिंचकर
अपने दम पे कर सफ़र
इक लक्ष्य पे हो अटल
चला तू चल चला तू चल
काँटें पैरों पे चभेंगे
लोग जाने क्या कहेंगे
कान तेरे फिर भरेंगे
साथ तेरे न रहेंगे
तुमको बोलें कम अक्ल
चला तू चल चला तू चल
मंजिलों से रू-ब-रू
ख़ुद-ब-ख़ुद होगा तू
बना ले तू जो आरजू
कीर्ति होगी कू-ब-कू
होगा रोशन तेरा कल
चला तू चल चला तू चल
