वज़ूद
वज़ूद
मेरा वजूद है तो मैं भी हूं
भले ही ना मिलते हो एक दूसरे के विचार
पर फिर भी एक दूसरे को तो नहीं सकते नकार।
भले ही दोनों का अपना अपना वजूद है और है आपस में टकराव।
लेकिन रहो सकारात्मक,
सम्मान करो एक दूसरे का
नहीं लाओ घर में कोई बिखराव।
माना बहुत कुछ अलग होगा।
संस्कृति अलग होगी
एक दूसरे का समाज अलग होगा
लेकिन अगर एक दूसरे का आपस में सहयोग होगा
तो दोनों के ही वजूद का रुतबा होगा।
दोनों के सामने कोई तीसरा टिकना पाएगा।
अलग हुए उसूल तो कोई भी किसी के भी मन को चोट पहुंचाएगा।
संभल जाओ अब भी
आपस में कर लो समझौता
भले ही शुरू में पहनना पड़े मुखौटा।
लेकिन समय बदलेगा और दोनों का वजूद भी संभलेगा।
रहोगे एक दूसरे के प्रति ईमानदार तो घर में एक दिन प्यार भी पलेगा