वजह
वजह
खुश करने चले थे हम जहाँ को,
सब कुछ ही तो लुटा दिया,
बहोत ही अच्छे और सच्चे थे,
कुछ ज़्यदा ही हम बरसे थे,
क्या करे अब थक गये हम,
बरसो से बस बिना वजह ही चले थे हम,
आज मिल गई वजह हमे,
अब खुद को खुश करने चले हैं हम। '
खुश करने चले थे हम जहाँ को,
सब कुछ ही तो लुटा दिया,
बहोत ही अच्छे और सच्चे थे,
कुछ ज़्यदा ही हम बरसे थे,
क्या करे अब थक गये हम,
बरसो से बस बिना वजह ही चले थे हम,
आज मिल गई वजह हमे,
अब खुद को खुश करने चले हैं हम। '