विवशता..एक कविता की
विवशता..एक कविता की
महसूस तो की होती
विवशता..एक कविता की,
माना अनुवादित है भावों से
फिर भी
कहीं कुछ है
छूटा हुआ सा..कुछ अनुमान से परे
कुछ-कुछ स्पंदित..
कुछ सिहरन सी..
सब कुछ कह जाती
फिर भी..अधोलिखित सी..
कहो, कितना समझे हो
विवशता को उसकी !!
