विवाह शिव -पार्वती का
विवाह शिव -पार्वती का
कन्दर्प दूत बना भेजा पार्वती का विवाह प्रस्ताव त्रिनेत्र ने भस्म किया,
पति रूप में शिव को पाने की पार्वती की इच्छा को और प्रबल किया,
बैठ गई कठोर तप में, शिव का ह्रदय भी पिघल गया,
भस्म लपेटे, हड्डियों की माला डाल गले में,
भूत- प्रेत ,गण और डाकिनियों संग,
आए शिव बरात लेकर पार्वती के अंगने में
देखअद्भुत बरात को मूर्छित हो गई मां,
अस्वीकृत का प्रश्नचिन्ह विवाह में लगा दिया ,
पार्वती की विनती मान, शिव ने सजो सिंगार किया,
ब्रह्मा जी की उपस्थिति में,
विवाह अलौकिक पार्वती- शिव का संपन्न हुआ।
