विवाह महज़ संयोग नहीं!
विवाह महज़ संयोग नहीं!
विवाह महज़ संयोग नहीं!
विवाह एक संस्कार है अपनी सनातनी संस्कृति की
विवाह एक बंधन होता है सात जन्मों की नहीं !
आने वाले हर जन्म से सातवें जन्म तक का!
यानी चीर काल तक इस बंधन में वर - वधू एक-दूसरे से बंध जाते हैं।
वे अनंत तक एक-दूसरे के होकर एक-दूसरे के ही हो जाते हैं।
इनमें एक आत्मीय जुड़ाव हो जाता है जो सदा इन्हें आपस में एक-दूसरे से जोड़े रखता है ।
तभी तो यह निर्विवाद रूप से सत्य है कि विवाह महज़ सन्योग नहीं!
विवाह संस्कार होता है सात जन्मों का।
यह रिश्तों की नई डोर से खींचे चले आते हैं वे एक-दूसरे के ओर।।