विश्व शौचालय दिवस
विश्व शौचालय दिवस
19 नवंबर, 2001 को ही जैक सिम ने ‘विश्व शौचालय संगठन’ की स्थापना की
‘सतत स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन’ को लेकर समाज में जैसे
एक अनूठे मिशन की परिकल्पना की
खुले में शौच करने से पर्यावरण दूषित हो सकता है।
खुले में शौच करने से मनुष्य का जीवन भी रोगग्रस्त हो सकता है
सयुक्त राष्ट्र संघ की कुछ प्रमुख रिपोर्ट बतलाती है
कुछ गंभीर व महत्त्वपूर्ण आंकड़े भी दर्शाती है
ढाई अरब आबादी को अभी स्वच्छता मयस्सर नहीं हुआ है।
ढाई अरब आबादी को उचित सुविधा भी मयस्सर नहीं हुआ है।
एक अरब आबादी खुले में शौच करने को मजबूर है।
एक अरब आबादी अभी भी शौचालय जैसी सुविधा से दूर है।
शौचालय स्वच्छता की अहमियत और जागरूकता को दर्शाता है।
शौचालय मनुष्य को कई खतरनाक रोग से भी बचाता है।
दुनिया के कुल आबादी के लगभग एक चौथाई
हिस्से को आज बुनियादी सुविधा हासिल नहीं हुई है।
विश्वभर में सभी महिलाएं और बच्चियां नाजुक परिस्थिति का शिकार भी हुई है।
19 नवंबर 2001 में विश्व शौचालय दिवस की शुरुआत हुई।
असहाय नवयुवतियों एवम् स्त्रियों को मुश्किल और
असहनीय पीड़ा को सहने से निजात मिला
खुले जगह में शौच करने से स्वास्थ्य की समस्या हो सकता है।
खुले में शौच करने से पब्लिक में रोगों की संभावना बढ़ सकता है।
खुले में शौच करने से मक्खियों द्वारा संक्रमण संचारी रोग भी बढ़ सकता है।
खुले में शौच करने से भयावह जानवरो का डर भी रहता है।
खुले में शौच करने से समाज में शोषण और
रेप जैसे वारदात होने की आशंका हो सकता है।
खुले में शौच करने से वृद्ध लोगो की परेशानी और रोग भी बढ़ सकता है
खुले में शौच करने से बच्चो व लोगो में डायरिया रोग होने की आशंका होता है।
खुले में शौच करने से पीने के पानी अर्थात जल स्त्रोत में जल दूषित होने का डर रहता है।
स्वच्छ भारत मिशन अभियान से हमे एक सहायता मिली है।
शौचालय को लेकर लोगो में अब जागरूकता भी मिली है
खुले में शौच करने की समस्या से 4 लाख गांवों को अभी तक मुक्ति मिली है
शौचालय होने से शहरों और गांवों में कई बीमारियो से मुक्ति मिली है।
