विराट की लघुता **************
विराट की लघुता **************
विराट की लघुता का
कायल मैं
उसकी विराटता में
ढूंढ रहा हूँ अपना अस्तित्व
और ये भी तो
उसी के कथन कि
मैं मनुष्य हूँ
की सम्पुष्टि करनी है
कोई मापदंड तो नहीं है
आदर्श मनुष्य का
जिससे अपनी तुलना करूँ
जिसका अनुगमन करूँ
इसी उलझन में
जिये जा रहा हूँ
और कभी कभी मुझे
लगता है
आदमी की मेरी तरह
होना चाहिये
और ये भी कोई मुझसा है नहीं
न मुझसे बुरा
न मुझसे अच्छा
न कोई शैतान
न कोई भगवान
इतनी बात जरूर है कि
मुझे मेरी अच्छाइयां पसंद हैं
और इस पसंद को
मैंने अपनी जीवन शैली में
शामिल कर रखा है
और जिसकी चर्चा
यदा कदा सुनने की मिलती है।
