वीरों की कुर्बानी
वीरों की कुर्बानी


वो युग था उन वीरों का
जब नन्हें-नन्हें हाथों में
बंदूक का बोलबाला था
तब हर एक भारतवासी
भारत का रखवाला था।
छोड़ पुस्तकीय ज्ञान सबने
लिया हाथ में भाला था
वो युग था भारत में
जब मानवता का बोलबाला था।
दूर फिरंगियों को करने
सच्चाई की कमान को संभाला था
तब हर एक क्रांतिकारी
भारत को प्यारा था।
जाति धर्म का बंधन छोड़
हर कोई मतवाला था
रुखी सूखी रोटी खाकर
रोज भजन वह गाता था।
मंगल पांडे हो या झांसी की रानी
हर कोई यह चाहता था।
रहे सुखी सब भारतीय
लिया हाथ में विष का प्याला था।
ऐसे क्रांतिकारियों से पड़ा अंग्रेज़ो का पाला था।
हुए शहीद वो भारत के ख़ातिर,
वन्देमातरम का जयकारा था।