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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

आओ चलें प्रकृति की ओर

आओ चलें प्रकृति की ओर

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दूर प्रकृति से होते जा रहे,

बढ़ा स्नेह मशीन की ओर।

रोबोट नहीं इंसान बनें हम,

आओ चलें प्रकृति की ओर।


परिवर्तन शाश्वत सत्य जगत का,

हम भी समयानुसार बदल जाएं।

परिवर्तन प्रक्रिया है अनुकूलन,

प्राणी अनुकूलित हो ही जी पाएं।

मशीन युग में मशीनों संग रहकर,

हम खुद तो मशीन मत बन जाएं।

मशीनें तो बैरी हैं सामाजिकता की,

स्नेह - प्यार के भावों की हैं चोर।

रोबोट नहीं इंसान बनें हम,

आओ चलें प्रकृति की ओर।


इसमें तो कोई भी दो राय नहीं है,

मशीनों ने जीवन है आसान किया।

सुरक्षा दी हमको कुदरती प्रकोपों से,

कर सकता है कोई इंकार तो क्या ?

कार्य दक्षता बहुगुणित की मानव की,

ह्रास क्षमता का कर पंगु है बना दिया।

मशीनों पर मानव की ज्यादा निर्भरता,

नाशेगी मानवता को आज नहीं तो भोर।

रोबोट नहीं इंसान बनें हम,

आओ चलें प्रकृति की ओर।


है माता प्रकृति हमारी सबकी,

पोषण-रक्षण करती हमारा है।

संरक्षण उपभोग संतुलित रख,

रहे अस्तित्व और हो गुजारा है।

विवेकहीन शोषण जो कीन्हा तो,

फिर बज जाता प्रलय नगाड़ा है।

असीम प्यार तो मां प्रकृति है देती,

उद्दण्डता का दण्ड भी है घनघोर।

रोबोट नहीं इंसान बनें हम,

आओ चलें प्रकृति की ओर।


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