एक सूरजमुखी के फूल सा
एक सूरजमुखी के फूल सा
नाउम्मीदी थी
दिल में
अब आहिस्ता आहिस्ता फिर
कुछ उम्मीद सी जग रही है
यह काली अंधेरी रात
युगों सी लम्बी थी लेकिन
मायूसी की धुंध
धीरे धीरे छंट रही है
इस दुनिया के
आसमान में
सूरज रोज सुबह उगता
होगा पर
मेरा तो कुछ समय के लिए
डूब गया था
एक बार फिर उगा है
इस बार मैं इसे डूबने ही
नहीं दूंगी चाहे
हर सांझ को
इस दुनिया का सूरज ढलता
रहे
दिन में
इस दुनिया के आकाश में
सांझ से रात
रात से अगली सुबह तक के
इंतजार में
यह मन के तपोबन में
एक सूरजमुखी के फूल सा
सूरज के प्रकाश पुंज सा ही
खिलता रहेगा।