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PRADYUMNA AROTHIYA

Inspirational

4.5  

PRADYUMNA AROTHIYA

Inspirational

माँ की कहानी

माँ की कहानी

1 min
388


सुबह अभी जागी भी न थी

कि माँ ने रोज की तरह

अपनी दिनचर्या शुरू कर दी,

झाड़ू लगाकर

पिताजी के लिए 

बड़े गिलास में चाय कर दी।


स्कूल जाने को वक़्त 

बहुत था मगर

माँ ने सारी तैयारी 

वक़्त से पहले कर दी,

चिंता किसी को 

किसी बात की न हो

हर सुबह की कहानी

माँ ने साफ कर दी।


पढ़ाने के लिए 

पिताजी के चले जाते ही

हमारी साइकिल पर हमारी जिंदगी भी 

पढ़ने के लिए स्कूल चल दी,

यहीं कहानी खतम नहीं होती

माँ ने

दोपहर तक की कहानी

फिर से धुलाई सफाई में कर दी।


स्कूल से हमारे लौटते ही

फिर से खाने की तैयारी कर दी,

बिना रुके बिना थके

निरन्तर 

चीटियों सी अविरल बात कर दी।


दोपहर जहाँ थक कर चूर थी

वहाँ माँ ने शाम को चाय

और रात के खाने की तैयारी कर दी,

वक़्त घड़ियों से 

लेकर कैलेण्डरों तक गुजरता गया

पर माँ ने अपनी कहानी

हम सभी के नाम कर दी।


रास्तों में अक्सर 

मुश्किलें दो-चार होती रहीं

पर लड़ने की खातिर

 माँ ने जिंदगी

परिवार के नाम कर दी।


जिंदगी हर किसी की दर्द सी गुजरती है

पर माँ ने

अपने दर्द से परे 

दिन रात की कहानी

रोज एक उत्सव सी कर दी।


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