!! वीर उबरना जानते हैं !!
!! वीर उबरना जानते हैं !!
स्वप्न की झंझावतों से
वीर उबरना जानते हैं।।
वो बढ़ते रहे बढ़ते रहेंगे
आशाओं के शिखर चढ़ते रहेंगे।
बार- बार गिरकर भी, स्वयं वो
औरों को, संभालना जानते है।
रखते स्मरण कथन किंचित
काग चेष्टा वको ध्यानं ,
विपत्तियों से लड़ते हुए भी
नहीं धैर्य खोना जानते हैं।।।
चलते हुए, जटिल मार्ग में
टिकतीं हैं नजरें ध्येय में
अर्जुन हैं वो प्रतिक्षण द्रोण के
लक्ष्य भेदना जानते है।।
स्वप्न के झंझावतों से
वीर उबरना जानते हैं ।