विद्यालय के वो सुन्दर दिन
विद्यालय के वो सुन्दर दिन
जिस विद्यालय में बीते हैं
सुन्दर दिन जीवन के
आज पुनः खड़े हैं हम
उसके ही प्रांगण में
अभिलाषा थी मन में हमको
कभी यहाँ आने की
बड़ी खुशी है आज यहाँ पर
वह अवसर पाने की
मनोभावों को व्यक्त कर सकें
हम कितने लायक हैं
पर आँखों में जो अश्रु हैं
उनके परिचायक हैं
इसके प्रति यह प्रेम हमारा
हमें खींच लाया है
इसी स्नेह के बंधन ने
हमें यहाँ बुलाया है
साँसों में आती हैं स्मृतियाँ
सुगन्ध के झोकों-सी
कानों में भी गूँज रही है
मधुर हँसी सखियों की
जीवन के पथरीले-पथ पर
राह दिखाया इसने
केवल विद्या ही नहीं दी
जीवन का पाठ पढ़ाया इसने
यहाँ से निकली हर छात्रा में
आत्मविश्वास प्रबल है
घर हो या हो दफ्तर
वह जीवन में आज सफल है
प्रदेश का गौरव है यह
है हर प्रतिभा की पहचान
हर शिक्षक की शान है यह
हर छात्रा का अभिमान
आज झुका कर शीश मैं
इसे नमन करती हूँ
अपने उद्गारों के अर्पित
स्नेह-सुमन करती हूँ