विचारणीय
विचारणीय
मौसम त्योहार का आया
लगी है भीड़ बड़े बाजार में,
नन्ही आंखें रास्ता देखे
कोई तो ले लो हम से भी समान को।
मौसम त्योहार का आया
सजाना है घर द्वार को
रंग बिरंगी झालर मोमबत्ती ,
लेने भागे बाजार को
पन्नी पर बैठी दादी रास्ता देखे
कोई तो ले लो दीये हमारे
सजा लेना घर द्वार को।
मौसम त्योहार का आया
मौसम पकवान आया,
भाग रहे हम लेने सब्जी भाजी माल को।
कोई तो ले लो ठेले पर भी
ताजी सब्जी रास्ता देखे
आये न क्यों तुम लेने को।
मौसम मुंह मीठा करने का आया
न भागो तुम अंग्रेजी चॉकलेट लेने को,
गर हो नकली मावे का डर
तो ले लो तुम बेसन या मिठाई दूध की,
ताकि मिठाई वाले भी मना सके त्योहार को।
मौसम त्योहार का आया
साथ ही एक संदेश लाया
एक दूसरे का साथ देते हुए ही
हमको चलाना है इस जीवन को।