उड़ने दो
उड़ने दो
उड़ने दो मुझको (नारी) खुले आकाश में
मत बांधो जंजीरों में
अपनी सोच को, पसंद को
मत थोपो तुम (समाज) मुझ पर ।
सही क्या और गलत क्या
मत समझाओ हमेशा ।
हमें भी माता-पिता
दे कर गए है कुछ नसीहतें
कभी तो उन नसीहतों पर ही
भरोसा कर लो ।
गर चलूँ कभी अनैतिक राह पर
बेशक चढ़ा देना फाँसी मुझको
पर तब तक
इंतजार तो कर लो तुम ।
