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sargam Bhatt

Inspirational

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sargam Bhatt

Inspirational

वह गृहणी है सब कुछ सह जाती है

वह गृहणी है सब कुछ सह जाती है

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खून के आंसू पी जाती है,

वह गृहणी है ,सब कुछ सह जाती है।

सबके आगे पीछे दौड़ती है,

बदले में प्यार के दो बोल चाहती है ,

वह भी कोई नहीं दे पता है,

अपनी किस्मत को कोस कर वह रह जाती है,

वह गृहणी है सब कुछ सह जाती है।


मां, बहन , पत्नी , बेटी , बहू सब के रूप मे वह,

कर्तव्य अपना निभाती है,

बदले में वह भी सम्मान चाहती है,

लोग कर्तव्य के नाम पर,बोझ डाल देते हैं उस पर,

सम्मान तो मिलता नहीं,

कर देते हैं लोग बेज्जती उसकी,

वह तकिए में सर छुपा के रो कर सो जाती हैं।

वह गृहणी है सब कुछ सह जाती है।


सबकी पसंद का खाना बनाती है,

नापसंद होते हुए भी सबकी पसंद का खाती है,

सबकी पसंद को ध्यान में रखते हुए ,खुद की पसंद की बलि चढ़ाती है ,

बदले में चाहती है कोई उसकी पसंद भी पूछे ,

जब कभी अपनी पसंद का बनाती है,

लोग पसंद पूछ नहीं सकते लेकिन ताने देने लगते हैं,

वह रोती हुई कमरे में भाग जाती है,

मां की तस्वीर को दिल का हाल सुनाती है,

मां कोई नहीं तेरे जैसा यहां,

जो मेरे नखरे उठाए मेरी पसंद को पूछे,

पति से उम्मीद लगाती है,

लेकिन उनका भी साथ ना पाती है,

इसको भी अपनी किस्मत मान कर चुप हो जाती है।

वह गृहणी है सब कुछ सह जाती है।


अब गृहणी से वह मां बन गई,

अब एक से वह दो हो गई,

जो उसने सहा वह बेटी को नहीं सहने देगी,

बेटी के प्यार में वह ऐसा कसम खा गई।

बेटी के प्यार में सशक्त बन गई,

वह गृहणी थी अब मां बन गई।

अब वह अपनी किस्मत पर नहीं पछताएगी,

वह एक मां भी है, बेटी के लिए कुछ भी कर जाएगी।


बेटी के लिए वह सब से लड़ गई,

जो आज तक ऊंची आवाज में नहीं बोली थी,

आज वह सबको हिदायत दे गई,

जो सबकी खुशी में खुश थी,

वह खुद की खुशी भी जान गई,

अपनी बेटी के लिए वह सुरक्षा कवच बन गई।

वही गृहणी अब मां बन गई।






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