वफ़ा का पत्र कोई मिला नहीं है
वफ़ा का पत्र कोई मिला नहीं है


उनकी बेवफाई का मुझको कोई गिला नहीं है
मेरा नसीब ही नहीं था शायद जो
मुझको वो मिला ही नहीं है
समुन्दर की रेत पर बेवजह उनका नाम था लिखता
जैसे वो मिटता, तू प्यार वैसे था करता
रेत के महल हमने भला क्यों बनाये थे
उसकी नींव का एक पत्थर मुझको मिला ही नहीं है।
आँखों के तेरे वो इशारे अब भी याद आते हैं
उन्हें याद करके अब भी थोड़ा हम मुस्कुरा जाते हैं
तेरी वो दिवानगी बस एक दिखावा था
तेरे एहसास का घर मुझको मिला ही नहीं है।
रोज-रोज आकर तुझको रोज में देता था
सुबह-शाम तुझको प्रोपोज़ में करता था
मेरे प्यार का तूने अच्छा सिला दिया
टूटा हुआ दिल मेरा अभी तक जुड़ा ही नहीं है।
अभी होश कम है शायद बेहोश हो गए हैं
अभी सांस कम है शायद मर से गये हैं
उनकी मखमली बाहें मुझको सताती हैं
तुझसे वफ़ा का कोई पत्र मिला ही नहीं है
उनकी बेवफाई का मुझको गिना नहीं है।