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PARAMITA BASAK

Romance

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PARAMITA BASAK

Romance

वफ़ा चाहा था तुझसे

वफ़ा चाहा था तुझसे

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न मिला,

यह तक़दीर है मेरी

खुद को खतावार न समझ

यह इल्तिजा है मेरी। 

दिल है

जो टूटा तेरी बेरुखी से,

खुद को कसूरवार न समझ

यह इल्तिजा है मेरी। 

दर्द दिया है बेवफाई ने तेरी

गम नहीं है इस बात का,

गम है तो बस इसलिए

के मेरा दर्द तुझे न तड़पाये।


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