वफ़ा चाहा था तुझसे
वफ़ा चाहा था तुझसे
न मिला,
यह तक़दीर है मेरी
खुद को खतावार न समझ
यह इल्तिजा है मेरी।
दिल है
जो टूटा तेरी बेरुखी से,
खुद को कसूरवार न समझ
यह इल्तिजा है मेरी।
दर्द दिया है बेवफाई ने तेरी
गम नहीं है इस बात का,
गम है तो बस इसलिए
के मेरा दर्द तुझे न तड़पाये।