वेदना का मर्म
वेदना का मर्म
दर्द लिखता हूँ मैं मन मसोस कर न चाहते हुए भी
जब जब मैं इस खूबसूरत दुनिया के बारे में लिखता हूँ
मुझे माफ़ कर देना एय मेरे मालिक मैं शायद कुछ गलत लिखता हूँ
मग़र जो भी लिखता हूँ मैं खुद के साथ जो बीती वही तो लिखता हूँ।
दर्द लिखता हूँ मैं मन मसोस कर न चाहते हुए भी
जब जब मैं इस खूबसूरत दुनिया के बारे में लिखता हूँ
मुझे माफ़ कर देना एय मेरे मालिक मैं शायद कुछ गलत लिखता हूँ
मग़र जो भी लिखता हूँ मैं खुद के साथ जो बीती वही तो लिखता हूँ।