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Vinod Kumar Mishra

Inspirational

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Vinod Kumar Mishra

Inspirational

वात्सल्य

वात्सल्य

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उसका कोई मोल नहीं जो, वात्सल्य बहाती माता है

चाहे नर हो या नारायण, उऋण न कोई होता है।


तोल सके ना राजा-महराजा, छीन सका न लुटेरा

प्रकृति का उपहार अनोखा, वात्सल्य अलौकिक होता है।


जिसको हम पशु-पक्षी कहते, और निरादर भी करते हैं

मानवीय विवेक को बेहतर, उनको तुच्छ समझते हैं।


'वीनू' तुलना में बेहतर, पशु-पक्षी ही क्यूँ होते हैं

शिशु जन्म समय जिह्वा से चाट, वात्सल्य प्रदर्शित करते हैं।


जब तक शिशु अपने पैरों पर, खड़े नहीं हो जाते हैं

जन्म से लेकर पालन-पोषण, और सुरक्षा करते हैं।


जब शिशु उड़ने या चलने, लायक उनके बन जाते हैं

नील गगन तले विचरण को, तब स्वतंत्र कर देते हैं।


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