वाक़या
वाक़या
हर शहर का वाक़या है ये
तेरे जैसा कोई दिख ही जाता है
पता नही विछड़ के इश्क बढ़ गया है मेरा या
तेरे जादू का दायरा बढ़ता जाता है
बदल कर देख लिए मैंने कितने ही जहाँ लेकिन
दूरी बढ़ती है और तू और पास आता जाता है
यकीन नही था तेरी कहानी पर ए मजनू, पर अब
उसका लब्बोलुआब मुझसे कुछ कुछ मिलता जाता है
हंसते हुए देखा तो लगा बिन मेरे खुश भी है वो
अच्छा हुआ मुझ पागल का रास्ता बदलता जाता है
सब समझ गया उस दिन जब उससे मिला फिर से
तुम बहुत बुरे हो कहकर भी वो रोता जाता है
शादी परिवार बच्चे सब खुशियां उसको अता की
फिर भी मुझे एक नजर देखकर जैसे खिल सा जाता है
अब जो भी बचा उसमें पता नहीं चलता किसका है
बेशिकवा ऐसे दोनों का प्यार मिलता जाता है।