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aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

4  

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

वादा रहा है

वादा रहा है

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ख़्वाबों का तेरी सदा पहरा रहा

सिलसिला नींदो में ही चलता रहा


दूर तुझसे हम चले जाये कहीं 

हम मिलेंगे तुझसे ये वादा रहा


तन्हा होने का लगे अहसास नहीं 

जिंदगी भर तू यूँ ही मिलता रहा


ढूँढ़ता हूँ मैं ख़ुशी ही दर बदर 

ग़म भरा दिल रोज़ ही अपना रहा


रोज़ मैंने जुल्म अपनों के सहे 

जिंदगी पे नफ़रत का साया रहा


इसलिए वो छोड़कर के जा चुका 

प्यार उसका यार वो झूठा रहा 


प्यार की "आज़म"नहीं की बातें 

वो ज़ुबां का रोज़ ही तीखा रहा।


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