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उसके ख्वाबों के लिए मैं।

उसके ख्वाबों के लिए मैं।

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वो जो इक शख्स है 

आज कल मुझसे मिलता नहीं 

आज कल मुझको दिखता नहीं 

हाँ ख्वाबों में रोज़ आता है 

पर मुझसे कुछ भी कहता नहीं 

मैं कोशिश करता हूँ

उससे बात करने की 

उसको ज़रा सुनने की 

पर वो जो है 

कहाँ बात कुछ करता है 

कहाँ मुझे कुछ सुनाता है 

पर हाँ वो मुझसे मिलने रोज़ आता है

अक्सर लोगों को कहते सुनता हूँ

की अब वो जहाँ है

वहां से कोई लौटा नहीं 

मै नहीं समझता ये खेल आखिर क्या है 

वाे तो रोज़ आता है 

ये एहसास है या सच है 

मुझको पता नहीं 

लोग सच कहते है या झूठ मुझको पता नहीं 

पर इतने से ताे मैं वाकिफ हूँ 

उसके ख्वाबों के लिए मैं जीता हूँ


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