उसके आंचल में एक अतीत छिपा है
उसके आंचल में एक अतीत छिपा है
उसके आंचल में, एक अतीत छिपा है,
जिसमें कितना, देखो युद्ध छिड़ा है
जिस युद्ध में उसका नायक है,
वो किसी का सेना नायक है
उसके आंचल में, एक अतीत छिपा है !
यह आंचल कितना सूना-सूना
सांझ सवेर झुलसा झुलसा
कितने घावों को, समेटे घुमा,
अपने में कितने आंसू पोछा..
उसके आंचल में, एक अतीत छिपा है !
पता लगाओ कहां है नायक
जिसके कारण तन्हाई है
जिससे यह न लहराता है
खेतों के उस भूमि पर,
जहां पे सारा गगन पड़ा है
उसके आंचल में, एक अतीत छिपा है !
चंदा का अब दीया जलाओ
सूरज को अब सहन बुलाओ
मोहब्बत वाली, ऊसर भूमि पर,
सुहागन आंचल फिर से लहराओ
उसके आंचल में, एक अतीत छिपा है !