उपकार
उपकार
प्रभु कृपा जीवन मिला, उपकार कर देखो।
तुम समर्पण प्रेम की बौछार कर देखो।।
कोठरी काली रही, उजले निकल आओ।
नीतियों से आप अब व्यवहार कर देखो।।
धर्म को बदनाम कर अब आग लगती क्यों
हुक्मरानों का कभी आभार कर देखो।।
भूल अपने कर्म, बनते भीड़ का हिस्सा।
छात्र गुण ही श्रेष्ठ, अंगीकार कर देखो ।।
पग बढ़े जो सत्य पथ पर, हो सफल जीवन।
राह कठिनायी मिले, स्वीकार कर देखो।।