हो गये जुदा हम मिलने से पहले
हो गये जुदा हम मिलने से पहले
ढह गये उम्मीदों के स्तंभ,छत बनने से पहले
हो गये जुदा हम मिलने से पहले।
रह गई तड़पती,ए रूह जिंदगानी
हुईं ना मुक्कमल जुबां की रुहानी
बूझ गये दीये तमाम,जलने से पहले
हो गये जुदा हम,मिलने से पहले।
ख़्वाहिश थी दिल की दीदार-ए-स़नम की
रह गई अधूरी मेरे बात मन की
मुरझा गये फूल,खिलने से पहले
हो गये जुदा हम मिलने से पहले।
एक रोज आंधी चली इस क़दर की
बिखरे ये अरमां हुए दर बदर की
सात टूटे वचन साथ चलने से पहले
हो गये जुदा हम मिलने से पहले।
ना उससे शिकायत ना मुझमे कमी थी
दोनों के आंखों में ऐसी नमी थी
बने थे एक दूजे के एक होने से पहले
पर हो गये जुदा हम मिलने से पहले !
