हे गुरूजन
हे गुरूजन
हे गुरूजन शत शत नमन ,
तेरे जीवन और जीवन पथ को I
तेरी महिमा है अंबर सम,
नव गति दे जो जीवन रथ को I
इस सूरज चांद के आगे,
तेरी कल्पना साकार रूप ले रहा है I
नित पल्लवित हो रहा तेरी भाव,
चाहे मौसम के छांव धूप रहा है I
ज्ञान और प्रगति का दीप जल रहा,
तेरी रूह और नाम से यहाँI
धन्य धन्य तेरी गति सफल रहा,
युगों की सुबह और शाम से यहाँ I
प्रकृति के दुर्गम नीरवता में,
तू सुर बना जीवन वीणा की।
मानव की निर्मम मानवता में,
तू स्वर बना सुर तुलसी मीरा की I
प्रतिक्षण सरल है तू,
तेरा वर्णन फिर भी सरल न बने I
तेरा सम्मान रहे युगों तक,
तू कभी जीवन गरल न बने I
हे गुरूजन शत शत नमन ,
तेरे जीवन और जीवन पथ को I
तेरी महिमा है अंबर सम,
नव गति दे जो जीवन रथ को I
