सब्र की हो रही है आज़माइश वक़्त से कर रहा हूँ यही फरमाईश। सब्र की हो रही है आज़माइश वक़्त से कर रहा हूँ यही फरमाईश।
मुकम्मल तो बहुत कुछ था मगर थोड़ी कमी भी थी। मुकम्मल तो बहुत कुछ था मगर थोड़ी कमी भी थी।
नित पल्लवित हो रहा तेरी भाव, चाहे मौसम के छांव धूप रहा है I नित पल्लवित हो रहा तेरी भाव, चाहे मौसम के छांव धूप रहा है I