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Mohit Agrawal

Abstract

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Mohit Agrawal

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एक निवाला ।

एक निवाला ।

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बात है बस एक निवाले की...

भटके जिसके लिए कोई गली गली,

कभी यहां मिन्नतें करे कभी वहा झोली फैलाये,

ना जाने कितने करे दुआएं...


बस बात है एक निवाले की.

भूखे ना जाने कितनी रात सोए,

ना जाने कितना तरसे बस एक निवाले के लिए,

वही जाने जो भूखा पेट सोए,


बात है बस एक निवाले की,

ठोकरें खा कर खाए एक निवाला,

 जो जाने निवाले की कीमत वही भर पेट सोए।


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