गर्मियों का मौसम
गर्मियों का मौसम
सूख गई जिसकी आँखे ,
खेतो को सींचेते सींचेते ...
कैसी ये गरमी आयी ,
जो पी गयी सभी के आसुओ को...
हुआ करती थी कही कभी बहाती हुई नदियाँ ,
तरस गए वहा एक बूँद पानी को वही ....
आँखे दुख गयी आसमान की ओर देखते-देखते ,
कोई तो बादल हो जो देख सके इन आँखो मे आँसूओ को ....
कहने को तो आसान है गरमी के मौसम मे बस आराम ही आराम है,
हालत देखों उन किसानों की ,
जो सींचेते मिट्टी को अपने आंसूओं से कभी ....
ना मिलता एक घूँट पानी जिन जानवरो को ,
पूछो उनसे क्या उनकी प्यास बुझी ....
गर्मीया आराम का मौसम है ,
कहते वो जिनके पास है आराम सभी।