STORYMIRROR

Rashmi Kumari

Abstract

4  

Rashmi Kumari

Abstract

होली ,और आप

होली ,और आप

1 min
262

आपको रंग लगाना है 

होली आज मानना है 

प्रतिकार करो इनकर करो 

पर रंगों को स्वीकार करो 

रंगों से आपको नहलाना है 

होली आज मानना है 

भर पिचकारी बौछार जो मारी 

भीगी चुनरी भीगी सारी 

अपने ही रंगों मे रंगबाना है 

होली आज मानना है

अबीर गुलाल तो बहाना है 

दूरियां दिलों से मिटाना है 

तो कैसे ये सरमान है 

होली आज मानना है. 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract