गाँव
गाँव
अपनत्व की होती यहाँ छांव
हम सब कहते हैं इसको गाँव
जीवन संघर्षों में न छोड़े हाथ
मिल जुलकर सब रहते साथ
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी हर जीव
मिसाल है इक कुटुंब की नींव
घर जैसी देते अनुभूति महान
लहलहाते हुए खेल-खलिहान
आँगन में डोले चिड़िया प्यारी
भौतिकी रहित जीवन सुखारी
मिट्टी से मिलता नेह अनोखा
सौहार्द भाव से रिश्ता चोखा
सड़कें कच्ची है बिजली कम
बाँट रहे सानिध्य में सब ग़म
हवा गाँवों की शुद्ध-सुगंधित
माने अतिथि ईश्वर संबंधित
निःस्वार्थ निश्छल प्रेम अपार
गाँव गाँव बसे खुशी व्यवहार..