उफ़्फ ये हाल...
उफ़्फ ये हाल...
अकल्पनीय सी स्थिति से सब रूबरू हुए
कोरोना के खौफ से हरे सहमे हुए
अपरिचित से थे क्या हो गया
रिश्तों की डोर में फासला आ गया
कैसे मिलें उनसे दूर ही रहो
बस फोन पर दिल की गुफ्तगू करो
अभी तो चढ़ा था प्यार परवान
इस महामारी ने आफत में डाली जान
मासूम बच्चों पर न पूछो क्या गुज़री
खेलने की सारी योजनाएं ठप्प पड़ गई
स्कूल भी तो सारे इस कोरोना ने बंद करा दिए
आॕनलाइन कक्षाओं में कुछ समझ न आए
टीचर दिखाई दे तो नेटवर्क चला जाए
कभी कभी आवाज ही गायब हो जाए
शुक्र है भगवान ने प्रार्थना सबकी सुन ली
जिंदगी दोबारा पटरी को ओर बढ़ रही।
