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Sarita Kumar

Romance

4  

Sarita Kumar

Romance

उम्रदराज

उम्रदराज

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विदा करते वक्त 

मैंने तुम्हारे कपड़ों को 

इस्त्री करके सूटकेस में रखा था 

रोजमर्रा की जरूरतों के सामान भी 

और चुपके से तुम्हारी उम्र को 

अपने दराज में छुपा लिया था 

इसीलिए तुम नहीं लगते मुझे 

उम्र दराज ....

वक्त वक्त पर बदलते हुए तस्वीरों को देखा जरूर है 

घुंघराले बालों को सीधा होते हुए 

मूंछों से क्लीनशेव होते हुए 

काले काले बालों को 

स्लेटी से दूधिया सफेद होते‌ हुए 

मगर यकीन नहीं होता मुझे 

क्योंकि मेरे दराज में 

तुम अभी भी 23 के हो 

काले घुंघराले बाल 

पापा जैसी मूंछ 

भेदभरी पानीदार आंखें 

आंखों पर वो चश्मा 

ऊंची सी नाक 

झिलमिलाते पसीने की बूंदे 

गुलाबी लड़कियों सी होंठ 

और 180० पर ठहरी तुम्हारी 

मनभावन मुस्कान।



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